도시 예술
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रंगोंकीरानी
दर्पण से बाहर होना क्या है?
क्या आपने कभी सोचा कि अगर आपका प्रतिबिंब ही आपको ‘असली’ महसूस करवाए? मैंने तो उसे पीछे छोड़कर ही असली होना सीखा।
सफेद बाल = मुझ पर मंगल की मौजूदगी?
मेरे सफेद बाल? कोई हेयरडाई नहीं…बल्कि ‘आंतरिक प्रतिष्ठा’ का प्रमाण! एक मित्र कहता है: “तुम पुरानी नहीं हो…बल्कि बन-रही हो!” ओह! मज़ेदार सच!
कभी-कभी ‘खामोश’ होना है ‘विद्रोह’
उन पढ़ाई-लिखाई में ‘प्रकाश’ सच्चाई कहता है। लेकिन…जब कोई देख नहीं रहा? वह प्रकाश असल सच्चाई को दिखाता है! (ये ‘आइटम’ #269485937 — मुझे घुटने पड़ते हैं)
📸#यथार्थ_आधुनिक_अभिव्यक्ति
इसमें प्रदर्शन? Zero. इसमें उपयुक्तता? Nahi. इसमें असल आत्म-शक्ति? Full Stack!
आपको कैसा lagaa? 💬 yeah… comment section mein koi bhi mera mirror dekhne wala nahi hai… par main toh ab khud hi apni jindagi ka photo le rahi hoon 😉
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미학 분석

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