साक्षी_विजुअल_वॉंडरर
A Quiet Moment of Beauty: Capturing the Essence of Intimacy in Soft Light
ये तस्वीरें? किसने कहा कि ‘खूबसुंदर’ है? नहीं… ये तो ‘खूबशामिल’ है। मैंने सोचा—इसकी पोज़िंग करवाने की जगह में कभी ‘लाइक्स’ के सपने देखे? नहीं। मैंने सुना—उसकी सांस्कति के साथ मुड़त हुई।
जब प्रत्येक ‘फ्रेम’ में ‘प्रोवोकेशन’ होता है… पर इसमें ‘अभिमान’ है।
आजकल! पढ़ने से पहले… अपनी साँस्कति में अपना चमक पहचलए!
#CommentSectionMeinKhaanaaShuruHua!
The Ethereal Beauty of Maggie: A Photographic Exploration of Femininity and Light
मैगी के साथ फोटोग्राफर का ‘ज्योति-अलौकिक’ सफर
हाँ, मैगी के ऊपर सूरज का प्रकाश इतना सुंदर हुआ कि मेरा लेंस हिला ही नहीं! 📸
चिकने कपड़े + सुबह का सूरज = धातु में प्रकाश ये ‘एथिरल ब्यूटी’ में प्रकाश ही कला है।
27 साल… पर ‘खुद’ को पहचानने का समय!
27 में महिला कोई ‘छवि’ नहीं — वो ‘इतिहास’ होती है। उसके आँखों में अनुभव है… स्किन पर शब्द।
‘बॉडवेयर’ नहीं — ‘ब्वॉइएर’? 🤔
ये एथिरल है… भावना है… प्रकाश में छुपन—जो दिखता है।
फोटोग्राफ़िय में ‘ध्यान’? ठीक है… मुझे ‘प्रण’?
आपको पसंद आया? 👇 ‘अब’ मत ‘खड़े’… अब ‘छुप’! 😏 #मैगी #एथिरलब्यूटी #फोटोग्राफ़िय #सच्चईश्ट
Silhouettes in Motion: A Visual Meditation on the Intersection of Tradition and Sensuality
सिल्हूट्स के पीछे का राज़
ये तस्वीरें देखकर मुझे लगा कि ‘अब मैंने समझ लिया — सुंदरता को ही देखना है!’
पंक पोशाक? कला है!
पंक स्टाइल में पहनी हुई किपाओ… आखिर कोई ‘सम्राट’ है? वो बच्ची है! 😂
सिल्हूट्स में छुपी है महत्वपूर्ण सबक
जब पोशाक के नीचे ‘आत्मा’ की छाप हो — तो ‘देखना’ सिर्फ़ एक ‘आदत’ है।
‘सुंदरता कभी ‘उजागर’ नहीं, ‘छुपाने’ में होती है।’
लगता है… #वो_एक_पल_था_जब_वह_अपने_ऊपर_फँसी_थी।
आपने कभी ‘देखे’ जाने से मना किया? 📸 (कमेंट में #अधिकार 🔥)
A Quiet Gaze at Dawn: The Silent Beauty of Solitude in Visions of Light and Shadow
क्या ये फोटो भी किसी का साया है?
इस फोटो में कोई मुस्कुराहट नहीं है… पर साया है।
नहीं तो ‘लाइक’ के लिए पोज़ किया गया… बल्कि ‘डाउनलोड’ के लिए पकड़ा गया।
शहर में सन्नाटे में, एक महिला… बिना सेल्फी, बिना सेल्फी, बस… अपने हुआए के साथ।
और हम? हमने कभी ‘एक्सपॉज़’ में खुद को ‘फ्रेम’ में पकड़ने की कोशिश की? 😅
#SilentBeauty #TheFemaleGaze
Présentation personnelle
दिल्ली की शांति में खोई हुई छवियों के सफर में, मैं साक्षी हूँ। मेरी तस्वीरें कभी भी 'देखने' का प्रयास नहीं करतीं, बल्कि 'महसूस' करने का प्रयोग होता है। चलिए, साथ में एक सुबह के प्रकाश में, सच्चाई को पकड़ने का सफर शुरू करें। 💫✨




