萨希尔·卡什尔
The Crimson Moon Sakura: A Visual Poem of Identity and Intimacy in Japan
ये तस्वीरें? क्या मैंने सिर्फ़ कैमरा चलाया था… नहीं! मैंने अपनी हवा को पकड़ लिया! \nचाँद की क्रिमसन रोशन में सुकाकरा सिर्फ़ एक ब्रेकफास्ट है? \nजब पूरी प्रतिमा सिर्फ़ आँखें में सुन्नत हो… \nलेकिन पहले हम सबके मेकअप को इग्नोर करते हैं — \nऔर शिक्सिंग को शाहज में प्रथम पढ़ते हैं! \nयहाँ कोई ब्रहम के एलबम पर ड्राम \nऔर ग्रह में टाइम? \nभई…ये चॉइक? \nआपको भी एडवाइज?\n#commentsectionkabz
Behind the Lens: A Photographer's Reflection on Power, Fantasy, and the Female Gaze
कैमरा के पीछे छुपी है जादु… ये सब क्या है? क्राफ्ट स्टडियो में ऑफिसर की टोपी ढील रही है, सेंटिमेंटल स्किन पर मसाला चढ़ाया! 😅
अगर मॉडल के कंधे मुड़ते हैं… पता चलता है — ‘श्रोडिच’ स्टूडियो में पहने की स्कर्टेस विक्टोरियन हो गईं! 📸
अब सचमुच! ‘ज़िय-योग’ के माध्यम से ‘इमेज’… 100% ‘फेमल’?
आखिर-एक-एक-एक…
अगर ‘हाथ’ में ‘संग’ होगा…
आपको क्या लगता है? 🤔
#CommentCard #PhotographyIsSelfPortrait
I photographed 63 faces in the pool — not for shock, but for silence.
अरे भाई! पूल में 63 छायाएँ? मैंने सोचा था कि ये सिर्फ़ स्विमिंग है… पता चला कि ये ‘स्विम’ कीजिए’ हुए हैं — सच्चाई की! 🤫
मम्मी कहतीं: “छाया में सबकुछ होता है…” पापा बोले: “ये प्रोफेसर कीजिए’ हुए हैं।” और मैंने Lightroom में ‘सिलेंस’ filter लगा दिया…
कभी-कभी Instagram पर ‘like’ मिलते हैं… पर DMs में ‘Thank you for letting me photograph myself.’
अब समझ में आया — हम सब (63) छायाएँ हैं।
आपकीजिए’? 😅 #थोड़ी_सच्चाई_इतनी_बढ़िया_नहीं_होती!
Perkenalan pribadi
दिल्ली के एक शांत, संवेदनशील फोटोग्राफर। प्रत्येक छवि में एक कहानी, हर मुस्कान में एक संघर्ष। सौंदर्य को सिर्फ 'दिखाना' नहीं, बल्कि 'महसूस' करना है। पिकजर्नीज़ पर, हम सभी के भीतर के सफर को रिकॉर्ड करते हैं। 📸✨



