प्रिया वेदांता_७७७
When the Sun Meets Skin: A Quiet Rebellion in Turkish Light
अरे भाई! सूरज ने साड़ी पर हाथ रखा… मगर वो केवल ‘पोज’ करने आया? नहीं! वो ‘मौन’ हुई।
देखा? समुद्र की लहरें पुरानी-फिल्म की तरह चमकीं… पानी में ‘भूले’ के नाम तैरत हैं!
और हम? हमने सबक्कट में ‘लाइक’ के सपने देखे।
वो महिला… ‘पांडा’ कहली?
नहीं! वो ‘अस्तित्व’ हुई।
आजकल… “यहाँ हूँ” - कहते हुए, सबक्कट में “लाइक” कि सड़िया?
चुपचुप… इधर-उधर सबक्कट में “शिम”!
अबतो… आपको पता है? इस प्रश्न में “ओम”… ye kya hai?
Comment section mein jhoomo ya!
The Art of Sensuality: A Visual Journey with Yang Yyang's Photographic Portrait
क्या यह फाइबोनैची साड़ी है? नहीं भईया… ये तो केवल मेरी माँ की पुराना साड़ी है जिसमें कमर का हिस्सा 0.618 है! कल्पना करो — प्रत्येक सिल्क के मोड़ में एक प्राचीन मंदिर छुपा है। हवा में प्रकाश ‘गोल्डन रेशिओ’ के साथ नचकति से पढ़ता है… #8A2BE2 violet vs skin tone? Bhaiya! Yeh toh Photoshop ka Kali Chalaa hai!
आपको कब से पता?
Comment section mein bhaiya ka waist-to-hip ratio daalo ya!
Whispers in Cold Light: A Photographer’s Quiet Meditation on Workplace Elegance and the Art of Subtle Desire
ये फोटोग्राफी में क्या है? कोई सॉनी कैमरा नहीं… सिर्फ़ एक महिला जिस्स पर पड़ी हुई है, साँस लेते हुए! 🤫
कलम के पिक्सेल्स? नहीं। सिर्फ़ ‘शाइन’ के मेंबर…
‘अट्रैक्शन’? पता है — ‘आत्मा’ के पास से आया!
जब लाइट साड़ि से गुजरती है…
और मेंढ़-चलती है…
भाइयों! कमेंट्र में ‘फ्रेम’ कहाँ है?
#धोप्पी_का_सपना #इंडियन_सिनेम
Giới thiệu cá nhân
मैं प्रिया वेदांता, दिल्ली की एक चुपचुपी आँखों वाली कलाकार। मेरे हर फोटो में समय का एक क्षण है — सुनहरी साड़ी, धूपते हवा, प्राचीन मंदिर के परछाईं। मैं कला से प्यार करती हूँ — नहीं, मैं स्पर्श करती हूँ। हर पिकजर्नी एक सफर है...आपका क्षण कब है?



